रोज ही आशीष मिलता था चरण छूए बिना अब नमस्ते का न उत्तर आ गये परदेश में। रोज ही आशीष मिलता था चरण छूए बिना अब नमस्ते का न उत्तर आ गये परदेश में।
एक ही साल में दो निजी स्कूलों, ने काम निकलते ही किया बाहर। एक ही साल में दो निजी स्कूलों, ने काम निकलते ही किया बाहर।
धन बिन कैसे पढ़ना लिखना कलम फावड़ा हाथ एक है। धन बिन कैसे पढ़ना लिखना कलम फावड़ा हाथ एक है।
हम है खेल खिलाड़ी, ना बनाओ हमारे प्रोजेक्ट तुम ओ मम्मी पापा, जो मिले स्कूल से प्रोजेक्ट हमे घर बनाने... हम है खेल खिलाड़ी, ना बनाओ हमारे प्रोजेक्ट तुम ओ मम्मी पापा, जो मिले स्कूल से प्...
पूछ ज़रा इन अश्क़ों से ग़म क्या है, ग़म ख़्वारी क्या पूछ ज़रा इन अश्क़ों से ग़म क्या है, ग़म ख़्वारी क्या
पहले नेताओं के जयकारे लगाती फिर सीने पर गोली खाती जनता चंद पैसे, दारू, साड़ी की ख़ातिर ... पहले नेताओं के जयकारे लगाती फिर सीने पर गोली खाती जनता चंद पैसे, दार...